ye zindgi mujhe door le chal is jahaan se
mujhe is jahaa me koi apna sa nahi lagta
log to bahut mil jaate hai har mod par
par ye do pal ka saath kya sapna sa nahi lagta
is zindgi ne yu to dhero gum diye mujhe bhi
kya ye gumo ka sagar bhi abhi kaafi nahi lagta
is bheed bhari duniya me koi kisika saath nahi deta
andhere me to saaya bhi juda insaan se hai lagta
me kise sunau apni dastaan kise sunau apna gum
jo samjhe mera gum aisa sakhs bhi to nahi dikhta
badhe ja rahe hai kadam na jaane kis aur
ab to sareer ka ek-ek katra bhi dagabaaz sa hai lagta
Monday, April 5, 2010
Gam bhi doston se hai
Takraar bhi doston se hai
Pyar bhi doston se hai
Roothna bhi doston se hai
Manana bhi doston se hai
Baat bhi doston se hai
Misaal bhi doston se hai
Nasha bhi doston se hai
Shaam bhi doston se hai
Zindagi ki shuruvaat bhi doston se hai
Zindagi main mulakaat bhi doston se hai
Mohabbat bhi doston se hai
Inaayat bhi doston se hai
Kaam bhi doston se hai
Naam bhi doston se hai
Khyal bhi doston se hai
Armaan bhi doston se hai
Khvab bhi doston se hai
Maahol bhi doston se hai
Yaadein bhi doston se hai
Mulakaatein bhi doston se hai
Sapne bhi doston se hain
Apne bhi doston se hai
Ya yoon kahoon yaro
Apni to duniya hi doston se hai........
Takraar bhi doston se hai
Pyar bhi doston se hai
Roothna bhi doston se hai
Manana bhi doston se hai
Baat bhi doston se hai
Misaal bhi doston se hai
Nasha bhi doston se hai
Shaam bhi doston se hai
Zindagi ki shuruvaat bhi doston se hai
Zindagi main mulakaat bhi doston se hai
Mohabbat bhi doston se hai
Inaayat bhi doston se hai
Kaam bhi doston se hai
Naam bhi doston se hai
Khyal bhi doston se hai
Armaan bhi doston se hai
Khvab bhi doston se hai
Maahol bhi doston se hai
Yaadein bhi doston se hai
Mulakaatein bhi doston se hai
Sapne bhi doston se hain
Apne bhi doston se hai
Ya yoon kahoon yaro
Apni to duniya hi doston se hai........
शहर की इस दौड़ में दौड़ के करना क्या है?
जब यही जीना है दोस्तों तो फ़िर मरना क्या है?
पहली बारिश में ट्रेन लेट होने की फ़िक्र है
भूल गये भीगते हुए टहलना क्या है?
सीरियल्स् के किर्दारों का सारा हाल है मालूम
पर माँ का हाल पूछ्ने की फ़ुर्सत कहाँ है?
अब रेत पे नंगे पाँव टहलते क्यूं नहीं?
108 हैं चैनल् फ़िर दिल बहलते क्यूं नहीं?
इन्टरनैट से दुनिया के तो टच में हैं,
लेकिन पडोस में कौन रहता है जानते तक नहीं.
मोबाइल, लैन्डलाइन सब की भरमार है,
लेकिन जिग्ररी दोस्त तक पहुँचे ऐसे तार कहाँ हैं?
कब डूबते हुए सुरज को देखा त, याद है?
कब जाना था शाम का गुज़रना क्या है?
तो दोस्तों शहर की इस दौड़ में दौड़् के करना क्या है
जब यही जीना है दोस्तों तो फ़िर मरना क्या है?
पहली बारिश में ट्रेन लेट होने की फ़िक्र है
भूल गये भीगते हुए टहलना क्या है?
सीरियल्स् के किर्दारों का सारा हाल है मालूम
पर माँ का हाल पूछ्ने की फ़ुर्सत कहाँ है?
अब रेत पे नंगे पाँव टहलते क्यूं नहीं?
108 हैं चैनल् फ़िर दिल बहलते क्यूं नहीं?
इन्टरनैट से दुनिया के तो टच में हैं,
लेकिन पडोस में कौन रहता है जानते तक नहीं.
मोबाइल, लैन्डलाइन सब की भरमार है,
लेकिन जिग्ररी दोस्त तक पहुँचे ऐसे तार कहाँ हैं?
कब डूबते हुए सुरज को देखा त, याद है?
कब जाना था शाम का गुज़रना क्या है?
तो दोस्तों शहर की इस दौड़ में दौड़् के करना क्या है
अल्फ़ाज़ों मैं वो दम कहाँ जो बया करे शख़्सियत हमारी,
रूबरू होना है तो आगोश मैं आना होगा ,
यूँ देखने भर से नशा नहीं होता जान लो साकी,
हम इक ज़ाम हैं हमें होंठो से लगाना होगा ......
हमारी आह से पानी मे भी अंगारे दहक जाते हैं ;
हमसे मिलकर मुर्दों के भी दिल धड़क जाते हैं ..
गुस्ताख़ी मत करना हमसे दिल लगाने की साकी ;
हमारी नज़रों से टकराकर मय के प्याले चटक जाते हैं....
भीड़ मे रहकर भी भीड़ से अलग रहना मुझे पसंद है……कभी-कभी सोचता हुं कि मैं जुदा हुं दुसरों से,पर मेरे आसपास का ताना-बाना जल्द ही मुझे इस बात का एहसास करवा देता है कि नहीं,मैं दुसरों से भिन्न नहीं बल्कि उनमें से ही एक हुं…!
इस अजनबी सी दुनिया में, अकेला इक ख्वाब हूँ.
सवालों से खफ़ा, चोट सा जवाब हूँ.
जो ना समझ सके, उनके लिये "कौन".
जो समझ चुके, उनके लिये किताब हूँ.
दुनिया कि नज़रों में, जाने क्युं चुभा सा.
सबसे नशीला और बदनाम शराब हूँ.
सर उठा के देखो, वो देख रहा है तुमको.
जिसको न देखा उसने, वो चमकता आफ़ताब हूँ.
आँखों से देखोगे, तो खुश मुझे पाओगे.
दिल से पूछोगे, तो दर्द का सैलाब हूँ
रूबरू होना है तो आगोश मैं आना होगा ,
यूँ देखने भर से नशा नहीं होता जान लो साकी,
हम इक ज़ाम हैं हमें होंठो से लगाना होगा ......
हमारी आह से पानी मे भी अंगारे दहक जाते हैं ;
हमसे मिलकर मुर्दों के भी दिल धड़क जाते हैं ..
गुस्ताख़ी मत करना हमसे दिल लगाने की साकी ;
हमारी नज़रों से टकराकर मय के प्याले चटक जाते हैं....
भीड़ मे रहकर भी भीड़ से अलग रहना मुझे पसंद है……कभी-कभी सोचता हुं कि मैं जुदा हुं दुसरों से,पर मेरे आसपास का ताना-बाना जल्द ही मुझे इस बात का एहसास करवा देता है कि नहीं,मैं दुसरों से भिन्न नहीं बल्कि उनमें से ही एक हुं…!
इस अजनबी सी दुनिया में, अकेला इक ख्वाब हूँ.
सवालों से खफ़ा, चोट सा जवाब हूँ.
जो ना समझ सके, उनके लिये "कौन".
जो समझ चुके, उनके लिये किताब हूँ.
दुनिया कि नज़रों में, जाने क्युं चुभा सा.
सबसे नशीला और बदनाम शराब हूँ.
सर उठा के देखो, वो देख रहा है तुमको.
जिसको न देखा उसने, वो चमकता आफ़ताब हूँ.
आँखों से देखोगे, तो खुश मुझे पाओगे.
दिल से पूछोगे, तो दर्द का सैलाब हूँ
मैं दो कदम चलता और एक पल को रुकता मगर...........
♡ इस एक पल जिन्दगी मुझसे चार कदम आगे बढ जाती ।
♡ मैं फिर दो कदम चलता और एक पल को रुकता और....
♡ जिन्दगी फिर मुझसे चार कदम आगे बढ जाती ।
♡ युँ ही जिन्दगी को जीतता देख मैं मुस्कुराता और....
♡ जिन्दगी मेरी मुस्कुराहट पर हैंरान होती ।
♡ ये सिलसिला यहीं चलता रहता.....
♡ फिर एक दिन मुझे हंसता देख एक सितारे ने पुछा..........
♡ " तुम हार कर भी मुस्कुराते हो ! क्या तुम्हें दुख नहीं होता हार का ? "
♡♡ तब मैंनें कहा................
♡ मुझे पता हैं एक ऐसी सरहद आयेगी जहाँ से आगे
♡ जिन्दगी चार कदम तो क्या एक कदम भी आगे ना बढ पायेगी,
♡ तब जिन्दगी मेरा इन्तज़ार करेगी और मैं......
♡ तब भी युँ ही चलता रुकता अपनी रफ्तार से अपनी धुन मैं वहाँ पहुँगा.......
♡ एक पल रुक कर, जिन्दगी को देख कर मुस्कुराउगा..........
♡ बीते सफर को एक नज़र देख अपने कदम फिर बढाँउगा।
♡ ठीक उसी पल मैं जिन्दगी से जीत जाउगा.........
♡ मैं अपनी हार पर भी मुस्कुराता था और अपनी जीत पर भी......
♡ मगर जिन्दगी अपनी जीत पर भी ना मुस्कुरा पाई
♡ इस एक पल जिन्दगी मुझसे चार कदम आगे बढ जाती ।
♡ मैं फिर दो कदम चलता और एक पल को रुकता और....
♡ जिन्दगी फिर मुझसे चार कदम आगे बढ जाती ।
♡ युँ ही जिन्दगी को जीतता देख मैं मुस्कुराता और....
♡ जिन्दगी मेरी मुस्कुराहट पर हैंरान होती ।
♡ ये सिलसिला यहीं चलता रहता.....
♡ फिर एक दिन मुझे हंसता देख एक सितारे ने पुछा..........
♡ " तुम हार कर भी मुस्कुराते हो ! क्या तुम्हें दुख नहीं होता हार का ? "
♡♡ तब मैंनें कहा................
♡ मुझे पता हैं एक ऐसी सरहद आयेगी जहाँ से आगे
♡ जिन्दगी चार कदम तो क्या एक कदम भी आगे ना बढ पायेगी,
♡ तब जिन्दगी मेरा इन्तज़ार करेगी और मैं......
♡ तब भी युँ ही चलता रुकता अपनी रफ्तार से अपनी धुन मैं वहाँ पहुँगा.......
♡ एक पल रुक कर, जिन्दगी को देख कर मुस्कुराउगा..........
♡ बीते सफर को एक नज़र देख अपने कदम फिर बढाँउगा।
♡ ठीक उसी पल मैं जिन्दगी से जीत जाउगा.........
♡ मैं अपनी हार पर भी मुस्कुराता था और अपनी जीत पर भी......
♡ मगर जिन्दगी अपनी जीत पर भी ना मुस्कुरा पाई
आँसू मैं ना ढूँदना हूमें,
दिल मैं हम बस जाएँगे,
तमन्ना हो अगर मिलने की,
तो बंद आँखों मैं नज़र आएँगे.
लम्हा लम्हा वक़्त गुज़ेर जाएँगा,
चँद लम्हो मैं दामन छूट जाएगा,
आज वक़्त है दो बातें कर लो हमसे,
कल क्या पता कौन आपके ज़िंदगी मैं आ जाएगा.
पास आकर सभी दूर चले जाते हैं,
हम अकेले थे अकेले ही रेह जाते हैं,
दिल का दर्द किससे दिखाए,
मरहम लगाने वेल ही ज़ख़्म दे जाते हैं,
वक़्त तो हूमें भुला चुका है,
मुक़द्दर भी ना भुला दे,
दोस्ती दिल से हम इसीलिए नहीं करते,
क्यू के डरते हैं,कोई फिर से ना रुला दे,
ज़िंदगी मैं हमेशा नये लोग मिलेंगे,
कहीं ज़ियादा तो कहीं काम मिलेंगे,
ऐतबार ज़रा सोच कर करना,
मुमकिन नही हैर जगह तुम्हे हम मिलेंगे.
ख़ुशबो की तरह आपके पास बिखर जाएँगे,
सुकों बन कर दिल मे उतर जाएँगे,
मेहसूस करने की कोशिश तो कीजिए,
दूर होते हो भी पास नजर आएँगे
दिल मैं हम बस जाएँगे,
तमन्ना हो अगर मिलने की,
तो बंद आँखों मैं नज़र आएँगे.
लम्हा लम्हा वक़्त गुज़ेर जाएँगा,
चँद लम्हो मैं दामन छूट जाएगा,
आज वक़्त है दो बातें कर लो हमसे,
कल क्या पता कौन आपके ज़िंदगी मैं आ जाएगा.
पास आकर सभी दूर चले जाते हैं,
हम अकेले थे अकेले ही रेह जाते हैं,
दिल का दर्द किससे दिखाए,
मरहम लगाने वेल ही ज़ख़्म दे जाते हैं,
वक़्त तो हूमें भुला चुका है,
मुक़द्दर भी ना भुला दे,
दोस्ती दिल से हम इसीलिए नहीं करते,
क्यू के डरते हैं,कोई फिर से ना रुला दे,
ज़िंदगी मैं हमेशा नये लोग मिलेंगे,
कहीं ज़ियादा तो कहीं काम मिलेंगे,
ऐतबार ज़रा सोच कर करना,
मुमकिन नही हैर जगह तुम्हे हम मिलेंगे.
ख़ुशबो की तरह आपके पास बिखर जाएँगे,
सुकों बन कर दिल मे उतर जाएँगे,
मेहसूस करने की कोशिश तो कीजिए,
दूर होते हो भी पास नजर आएँगे
दिल के रिश्ते भी अजीव होते है
दूर रहके भी करिव होते है
जो आप को रोज
मिलते है
वो कितने खुस - नसीव
होते है
हिचकियों से एक बात का पता
चलता है,
कि कोई हमे याद तो करता है,
बात न करे तो क्या हुआ,
कोई आज
भी हम
पर कुछ लम्हे बरबाद तो करता है
ज़िंदगी हमेशा पाने के लिए नही
होती,
हर
बात समझाने के लिए नही होती,
याद तो अक्सर आती है आप
की,
लकिन हर याद जताने
के लिए नही होती
महफिल न सही तन्हाई तो मिलती
है,
मिलन न सही जुदाई तो
मिलती है,
कौन कहता है मोहब्बत में कुछ नही
मिलता,
वफ़ा न सही बेवफाई तो मिलती
है
कितनी जल्दी ये मुलाक़ात गुज़र
जाती है
प्यास भुजती नही बरसात गुज़र
जाती है
अपनी यादों से कह दो कि
यहाँ न आया करे
नींद आती नही और रात गुज़र
जाती है
उमर की राह मे
रस्ते बदल जाते हैं,
वक्त की आंधी में इन्सान बदल
जाते हैं,
सोचते हैं
तुम्हें इतना याद न करें,
लेकिन आंखें बंद करते ही इरादे
बदल जाते
हैं
कभी कभी दिल उदास होता है
हल्का हल्का सा आँखों को एहसास
होता
है
छलकती है मेरी भी आँखों से नमी
जब तुम्हारे दूर होने का एहसास होता
दूर रहके भी करिव होते है
जो आप को रोज
मिलते है
वो कितने खुस - नसीव
होते है
हिचकियों से एक बात का पता
चलता है,
कि कोई हमे याद तो करता है,
बात न करे तो क्या हुआ,
कोई आज
भी हम
पर कुछ लम्हे बरबाद तो करता है
ज़िंदगी हमेशा पाने के लिए नही
होती,
हर
बात समझाने के लिए नही होती,
याद तो अक्सर आती है आप
की,
लकिन हर याद जताने
के लिए नही होती
महफिल न सही तन्हाई तो मिलती
है,
मिलन न सही जुदाई तो
मिलती है,
कौन कहता है मोहब्बत में कुछ नही
मिलता,
वफ़ा न सही बेवफाई तो मिलती
है
कितनी जल्दी ये मुलाक़ात गुज़र
जाती है
प्यास भुजती नही बरसात गुज़र
जाती है
अपनी यादों से कह दो कि
यहाँ न आया करे
नींद आती नही और रात गुज़र
जाती है
उमर की राह मे
रस्ते बदल जाते हैं,
वक्त की आंधी में इन्सान बदल
जाते हैं,
सोचते हैं
तुम्हें इतना याद न करें,
लेकिन आंखें बंद करते ही इरादे
बदल जाते
हैं
कभी कभी दिल उदास होता है
हल्का हल्का सा आँखों को एहसास
होता
है
छलकती है मेरी भी आँखों से नमी
जब तुम्हारे दूर होने का एहसास होता
Meri gali se wo ja b bhi gujarta hoga
Mod pe jaake kuch der thaharta hoga
Bhool jaana mujhko itna aasaan to na hoga
Dil main kuchtoot ke to bikharta hoga
Saath dekhe the Jo un khwabon ka kaarwaa
Gubaa bankar uski aankho me ubharta haga
Koi jab choomta hoga use baanho me lekar
Mera pyar badan me uske siharta hoga
Uski julfon ko meri ungliyan dulaarti hongi
Saamne aaine ke wo jab bhi sanwarta hoga
Dard jab bhi deta hoga ye sangdil zamaana
Wo bewafa is “maan” ko yaad karta hoga
Mod pe jaake kuch der thaharta hoga
Bhool jaana mujhko itna aasaan to na hoga
Dil main kuchtoot ke to bikharta hoga
Saath dekhe the Jo un khwabon ka kaarwaa
Gubaa bankar uski aankho me ubharta haga
Koi jab choomta hoga use baanho me lekar
Mera pyar badan me uske siharta hoga
Uski julfon ko meri ungliyan dulaarti hongi
Saamne aaine ke wo jab bhi sanwarta hoga
Dard jab bhi deta hoga ye sangdil zamaana
Wo bewafa is “maan” ko yaad karta hoga
माना दोस्ती का रीश्ता खून का नही होता
लेकीन खुन के रीश्ते से कम भी नही होता
दोस्ती मे एक बात मुझे समझ नही आती है
दोस्त मे लाख बुराई हो उसमे अच्छाई ही क्यु नजर आती है
दोस्त बीठाता है आपको सर आखो पर
आपकी सारी परेशानी लेता है अपने उपर
आप की गलती सारी दुनीयासे चुपाता है
खुद के अच्छे कामो का शेर्य भी आपही को देता है
दोस्त होता है ऐसे
दीयो के लीये बाती जैसे
अन्धो के लीये लाठी जैसे
प्यासे के लीये पानी जैसे
बच्चे के लीये नानी जैसे
दीयो के लीये बाती जैसे
लेखक के लीये कलम जैसे
बीमार के लीये मलम जैसे
कुभार के लीये माती जैसे
कीसान के लीये खेती जैसे
भ्कत के लीये वरदान जैसे
मरने वाले के लीये जीवनदान जैसे
अन्त मे आप से एक ही बात है कहना
दोस्त को बुरा लगे ऐसा कोई काम ना करना
खुद भी खुश रहना और दोस्तो को भी रखना
चाहे कीतनी भी बडी मुशकील हो दोस्त का साथ ना छोडना
लेकीन खुन के रीश्ते से कम भी नही होता
दोस्ती मे एक बात मुझे समझ नही आती है
दोस्त मे लाख बुराई हो उसमे अच्छाई ही क्यु नजर आती है
दोस्त बीठाता है आपको सर आखो पर
आपकी सारी परेशानी लेता है अपने उपर
आप की गलती सारी दुनीयासे चुपाता है
खुद के अच्छे कामो का शेर्य भी आपही को देता है
दोस्त होता है ऐसे
दीयो के लीये बाती जैसे
अन्धो के लीये लाठी जैसे
प्यासे के लीये पानी जैसे
बच्चे के लीये नानी जैसे
दीयो के लीये बाती जैसे
लेखक के लीये कलम जैसे
बीमार के लीये मलम जैसे
कुभार के लीये माती जैसे
कीसान के लीये खेती जैसे
भ्कत के लीये वरदान जैसे
मरने वाले के लीये जीवनदान जैसे
अन्त मे आप से एक ही बात है कहना
दोस्त को बुरा लगे ऐसा कोई काम ना करना
खुद भी खुश रहना और दोस्तो को भी रखना
चाहे कीतनी भी बडी मुशकील हो दोस्त का साथ ना छोडना
Bachpan Ka Zamana Hota Tha,
Khushio.N Ka Khazana Hota Tha.
Chahat Chaand Ko Paane Ki,
Dil Titli Ka Deewana Hota Tha.
Rone Ki Wajha Na Hoti Thi,
Hasne Ka Bahana Hota Tha.
Khaber Na Thai Kuch Subho Ki,
Na Shamo Ka Thikana Hota Tha.
Daadi Ki Kahani Hoti Thi,
Pariuon Ka Fasana Hota Tha.
Pedho Ki Shakhe Chutey They,
Mitti Ka Khilona Hota Tha.
Gam Ki Zuban Na Hoti Thi,
Na Zakhmo Ka Paymana Hota Tha.
Barish Mein Kagaz Ki Kashti,
Har Mousam Suhana Hota Tha.
Wo Khel Wo Sathi Hotey They,
Har Rishta Nibhana Hota Tha
Khushio.N Ka Khazana Hota Tha.
Chahat Chaand Ko Paane Ki,
Dil Titli Ka Deewana Hota Tha.
Rone Ki Wajha Na Hoti Thi,
Hasne Ka Bahana Hota Tha.
Khaber Na Thai Kuch Subho Ki,
Na Shamo Ka Thikana Hota Tha.
Daadi Ki Kahani Hoti Thi,
Pariuon Ka Fasana Hota Tha.
Pedho Ki Shakhe Chutey They,
Mitti Ka Khilona Hota Tha.
Gam Ki Zuban Na Hoti Thi,
Na Zakhmo Ka Paymana Hota Tha.
Barish Mein Kagaz Ki Kashti,
Har Mousam Suhana Hota Tha.
Wo Khel Wo Sathi Hotey They,
Har Rishta Nibhana Hota Tha
watch this out at once
Zinda rehane ki koi chahat nahin hai mujhko sanam,
Mujhko to chahat hai tere baahon mein mar jaane ki,
Saath hum na reh sake is jeevan mein to kya,
Saath tera har pal chahiye mujhe agale jeevan mein.
Jab se mujhe mila hai sanam meetha pyaar tera,
Khud ko bhi kayee baar bhul jaata hoon main,
Na jaane kaise daur se guzarta hoon main abhi,
Zindagi jeene ki chahat ko bhi bhool jaata hoon main.
Ai sanam ab to nahin hai jeena mujhe is bedard duniya mein,
Jo duniya kabhi samajhthi nahin pyaar kisi sache dil ka,
Tujhko paakar hi samjha maine ki mohabbat kya hai,
Ab to lagta hai itne saalon se ek zinda laash tha main.
Chahe dafna do ya jala do mere chitha ko tum agni mein,
Bas ek guzaarish hai ai bereham duniya waalon,
Maut mein to milne do mujhe sanam se mere,
Mujhko to chahat hai tere baahon mein mar jaane ki,
Saath hum na reh sake is jeevan mein to kya,
Saath tera har pal chahiye mujhe agale jeevan mein.
Jab se mujhe mila hai sanam meetha pyaar tera,
Khud ko bhi kayee baar bhul jaata hoon main,
Na jaane kaise daur se guzarta hoon main abhi,
Zindagi jeene ki chahat ko bhi bhool jaata hoon main.
Ai sanam ab to nahin hai jeena mujhe is bedard duniya mein,
Jo duniya kabhi samajhthi nahin pyaar kisi sache dil ka,
Tujhko paakar hi samjha maine ki mohabbat kya hai,
Ab to lagta hai itne saalon se ek zinda laash tha main.
Chahe dafna do ya jala do mere chitha ko tum agni mein,
Bas ek guzaarish hai ai bereham duniya waalon,
Maut mein to milne do mujhe sanam se mere,
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